पराजेरसोढ: - पंचमी विभक्ति: ।।
परा जि (हार मानना) धातो: योगे असह्यवस्तो: (येन् पराजयं मन्ये) अपादान संज्ञा भवति । तदनुसारं पंचमी विभक्ति: भवति ।
हिन्दी - परा जि (हार मानना) धातु के योग में असह्य वस्तु (जिससे ऊब या हार माना जाए) की अपादान संज्ञा होती है तदनुसार पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है ।
उदाहरणम् -
अध्ययनात् पराजयते ।
पढाई से हार मानता है ।
इति

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